चाणक्य नीति: इस समय किये गए किसी भी काम से होती है उत्तम फल की प्राप्ति
आचार्य चाणक्य को ऐसे ही नहीं महा विद्वान कहा जाता है। आचार्य चाणक्य की विद्वता के आगे अच्छे-अच्छे ज्ञानियों ने हार मानी है। आचार्य चाणक्य बुद्धि से जीतने ज्यादा प्रखर थे, चेहरे से वह उतने की कुरूप थे। उनकी कुरूपता की वजह से उन्हें कई जगहों पर अपमानित होना पड़ा था। एक बार हद तब हो गयी जब एक राजा ने उनकी कुरूपता की वजह से भरी सभा में उनका मजाक उड़ाया।
तुम कुरूप हो इसलिए नहीं बन सकते मंत्री:
एक बार की बात है आचार्य चाणक्य नन्द वंश के राजा के दरबार में पहुँचे और उनके समक्ष मंत्री बनने का अनुरोध किया। उनका यह अनुरोध सुनकर नन्द वंश के राजा ने उनका जमकर उपहास किया और कहा कि अपनी शक्ल देखी है तुमने। तुम दिखने में बहुत ज्यादा कुरूप हो इसलिए तुम्हें हम मंत्री नहीं बना सकते हैं। यह बात आचार्य चाणक्य को बहुत ज्यादा बुरी लग गयी।
नन्द वंश का नाश कर दिया चंदगुप्त मौर्य ने:
उसी दिन आचार्य चाणक्य ने अपनी चोटी बाँध ली और कसम खायी की जब तक नन्द वंश का नाश नहीं कर लूँगा चैन से नहीं बैठूँगा। उन्होंने इसके लिए चन्द्रगुप्त को अपना मोहरा बनाया। आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त को उचित शिक्षा-दीक्षा देनी शुरू कर दी। उन्हें उस काबिल बनाया कि वह राज-काज के काम में माहिर हो गए। इसके बाद चंदगुप्त मौर्य ने नन्द वंश का नाश कर दिया।
सभी महत्वपूर्ण बातें बताई गयी हैं चाणक्य नीति में:
चंदगुप्त के जीतने के बाद मौर्य वंश का शासन शुरू हुआ और आचार्य चाणक्य उनके महामंत्री बनें। आचार्य चाणक्य एक दूरदर्शी विद्वान थे। वह केवल राजनीति के ही ज्ञाता नहीं थे बल्कि उन्हें अर्थशास्त्र का भी ज्ञान था। उन्होंने अपने ज्ञान को एक पुस्तक में समेटा जिसे आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है। चाणक्य नीति में इंसान के जीवन की सभी महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताया गया है। चाणक्य ने बताया है कि इस काम को सही समय पर करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है।
क्षणमपि कालविक्षेपं न कुर्यात्।
अर्थात:
चाणक्य ने कहा है कि जो कार्य सही समय पर पूरा कर लिया जाता है, उससे प्राप्त होने वाला फल उत्तम होता है। इसलिए जो भी कार्य करना है उसमें तनिक भी देरी नहीं करनी चाहिए। अगर सही समय पर सही काम करने से व्यक्ति चूक जाता है तो उसे जीवन में पछताने के अलावा और कुछ नहीं मिलता है।