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कोरोना की वजह से पिता को खोया, 13 साल की उम्र में 12वीं एग्जाम पास कर इस छात्रा ने रचा इतिहास

अगर व्यक्ति के अंदर कुछ करने का जुनून हो तो वह मुश्किल से मुश्किल काम को भी आसान बना सकता है। जी हां, आज हम आपको एक ऐसी 13 वर्ष की छात्रा के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसने महज 13 वर्ष की आयु में 12वीं की बोर्ड परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली है। आपको बता दें कि कोरोना वायरस की वजह से इसने हाल ही में अपने पिता को खो दिया था। पिता के जाने के बाद यह काफी दुखी थी, परंतु इस बच्ची का हौसला मजबूत था। शिक्षा जगत में इस छात्रा ने इतनी कम उम्र में 12वीं पास करके कीर्तिमान स्थापित किया है।

विद्यार्थियों के बोर्ड एग्जाम पास आते ही उनके ऊपर काफी दबाव पड़ने लगता है। विद्यार्थियों के मन में डर और चिंता लगातार बनी रहती है। लेकिन मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली तनिष्का सुजीत ने 13 साल की उम्र में 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की है। इनको कॉमर्स स्ट्रीम में 62.8 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। आपको बता दें कि सोमवार को मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने अपने परिणाम घोषित किए थे और यह छात्रा दसवीं पास करने के पश्चात सीधा 12वीं की परीक्षा देकर पास होने वाली अपने राज्य की पहली स्टूडेंट है। तनिष्का ने 12वीं के पेपर बतौर प्राइवेट स्टूडेंट दिए, इन्होंने इंग्लिश और हिंदी में डिस्टिंक्शन हासिल की है।

कोरोना संक्रमण की वजह से 2 जुलाई को खो दिया था पिता को

बता दें कि तनिष्का ने कोरोना संक्रमण की वजह से अपने पिता सुजीत को 2 जुलाई को खो दिया था। इनके लिए यह बहुत मुश्किल भरा समय था, परंतु फिर भी इन्होंने अपने आपको काफी संभाला। तनिष्का ने एक प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर परीक्षा दी थी। खबरों के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि तनिष्का की मां अनुभा चंद्रन ने यह बताया था कि हमने भोपाल में कई बार सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की थी और उनसे तनिष्का को कक्षा दसवीं के पश्चात डायरेक्ट 12वीं के पेपर देने की विशेष अनुमति मांगी थी।

तनिष्का होमस्कूल के जरिए पढ़ीं हैं

तनिष्का अन्य बच्चों से बिल्कुल अलग है। यह प्री-प्राइमरी कक्षाओं में नहीं पढ़ीं है। जब इनकी आयु 3 वर्ष की थी तब इनको सीधे निजी स्कूल में कक्षा एक में भर्ती करा दिया गया था। इनकी माताजी ने यह बताया कि मेरी बेटी 2015 से होम स्कूल के जरिए पढ़ी है। मेरे पति को हमेशा यह लगता था कि अगर सही तरीके से पढ़ाया जाए तो कोई भी बच्चा स्कूल की तुलना में घर पर बेहतर पढ़ सकता है और अतिरिक्त कौशल भी सीख सकता है।

B.Com अंतिम वर्ष की परीक्षाओं में होना चाहती हैं शामिल

तनिष्का ने यह बताया कि “मेरा सपना आईपीएस अधिकारी बनने का है।” इसके अलावा यह नृत्य में पीएचडी करना चाहती हैं। तनिष्का की अगली योजना बीकॉम अंतिम वर्ष की परीक्षा में बैठने का है।

वैसे देखा जाए तो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत से सपने देखता है, परंतु सभी के सपने पूरे नहीं हो पाते हैं। अगर सपने साकार करने हैं तो इसके लिए मजबूत हौसला और परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति होनी चाहिए, जोकि तनिष्का में देखने को मिलती है। इतनी छोटी सी उम्र में इन्होंने इतिहास रचा है। इस लड़की की जितनी तारीफ की जाए, उतनी ही कम है. हम इनके जज्बे को सलाम करते हैं।

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