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“बच सकती थी सुशांत की जान” सुशांत सिंह राजपूत केस में सबसे अहम गवाह ने किया खुलासा

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपने कमरे के अंदर फांसी के फंदे पर लटककर अपनी जान देदी थी, लेकिन अभी तक इस रहस्य सुलझ नहीं पा रहा है। लगातार सुशांत केस की जांच पड़ताल चल रही है। आए दिन नए-नए खुलासे हो रहे हैं, जिसके चलते मामला सुलझने की जगह उलझता ही जा रहा है। खबरों के अनुसार, बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के कथित मौत के पश्चात उनके कमरे में कुल 5 लोग ही मौजूद थे। मीडिया से बातचीत करने के दौरान इन पांचों में से सबसे अहम गवाह ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस गवाह ने अपनी गवाही में कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की जान बच सकती थी।

चाबी वाले रफीक को बुलाकर दरवाजे का लॉक तोड़ा था

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने अपने मुंबई स्थित घर के अंदर अपनी जान दे दी थी। जिसके पश्चात दरवाजे को खोलने के लिए काफी कोशिश की गई, परंतु सभी कोशिशें नाकाम रहीं। काफी मशक्कत करने के बावजूद भी दरवाजा टूट नहीं पाया था, जिसके बाद सुशांत सिंह राजपूत के साथ उनके घर में ही रहने वाले उनके एक दोस्त ने फोन करके चाबी वाले रफीक को बुलाया था। तब चाबी वाले रफीक ने दरवाजे का लॉक तोड़ा था। सुशांत केस में रफीक सबसे अहम गवाह बन चुका है ।

₹2000 रुपये दरवाजे का लॉक खोलने के लिए मिले थे

14 जून की घटना के बारे में जिक्र करते हुए चाबी वाले रफीक ने यह बताया कि यह दिन मेरे जीवन का ऐसा दिन था, जिसने मेरी जिंदगी में बहुत बदलाव ला दिया। 14 जून के दिन को मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा। उस दिन मुझे फोन करके दरवाजे का लॉक तोड़ने के लिए बुलाया गया था। जब मैंने दरवाजे का लॉक तोड़ दिया तब मुझे इस काम के लिए ₹2000 रुपये मिले थे। जब मैंने सुशांत सिंह राजपूत का मृत शरीर देखा तो मैं तनाव में आ गया था। मैं मानसिक रूप से इतना परेशान हो गया था कि 15 दिनों तक मैंने अपनी दुकान नहीं खोली।

सुशांत केस को लेकर सीबीआई के द्वारा मेरे से पूछताछ की गई थी। मैंने सभी सवालों का जवाब दे दिया। सुशांत मामले के बाद मैंने 2 दिनों तक खाना नहीं खाया। मैं अभी भी यही सोच रहा हूं कि मैंने दरवाजे का लॉक क्यों खोला। मेरे सामने एक महीने बाद सुशांत सिंह राजपूत जैसा ही एक केस आया। तब मैं इतना डर गया और यही सोच रहा था कि दरवाजे को खोलो या नहीं? जब मैंने दरवाजा खोला तो कमरे के अंदर एक बुजुर्ग व्यक्ति लेटा हुआ था, जिसकी तबीयत बहुत खराब लग रही थी। हमने तुरंत उसकी सहायता की और अस्पताल ले गए। हम बुजुर्ग व्यक्ति की जान बचाने में कामयाब रहे।

बच सकती थी सुशांत की जान

मीडिया से बातचीत के दौरान चाबी वाले रफीक ने यह खुलासा किया कि अगर सुशांत के दोस्त ने मुझे थोड़ा जल्दी बुला लिया होता तो शायद सुशांत की जान बच सकती थी। अगर दरवाजे का लॉक खोलने से सुशांत जिंदा रहते तो मेरे हाथों से जीवन का सबसे अच्छा काम होता। परंतु जब मैं पहुंचा था तब तक सुशांत सिंह राजपूत इस दुनिया को छोड़ कर चले गए थे।

सीबीआई पूछताछ के दौरान रफीक ने यह कहा था कि सुशांत की मौत के समय कमरे में जो भी लोग वहां पर उपस्थित थे, उनके चेहरे पर किसी भी प्रकार का डर देखने को नहीं मिला। मैं यही चाहता हूं कि अगर सुशांत के साथ कुछ गलत हुआ है तो उनको जल्द से जल्द न्याय मिलना चाहिए। सीबीआई अच्छा काम कर रही है और मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्द ही सुशांत मामले की सच्चाई सबके सामने आएगी।

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